कपालभाती यह केवल एक प्राणायाम ही नहीं!बल्कि एक शुद्धी क्रिया भी हैं!
कपालभाती को बीमारी दूर करने वाले प्राणायाम के रूप में देखा जाता हैं!
01) कपालभाती करने वाला साधक आत्मनिर्भर और स्वयंपूर्ण हो जाता हैं!
कपालभाती से हार्ट के ब्लॉकेजेस् पहले ही दिन से खुलने लगता हैं! और 15 दिन में बिना किसी दवाई के वे पूरी तरह खुल जाता हैं !
02) कपालभाती करने वालों के हृदय की कार्यक्षमता बढ़ता हैं!जबकि
हृदय की कार्यक्षमता बढ़ाने वाली कोई भी दवा बाजार में उपलब्ध नहीं हैं !
03) कपालभाती करने वालों का हृदय कभी भी अचानक काम करना बंद नहीं करता जबकि आजकल बड़ी संख्या में लोग अचानक हृदय बंद होने से मर जाते हैं !
04) कपालभाती करने से शरीरांतर्गत और शरीर के ऊपर की किसी भी तरह की गाँठ गल जाती हैं!
क्योंकि कपालभाती से शरीर में जबर्दस्त उर्जा निर्माण होता हैं! जो गाँठ को गला देती हैं! फिर वह गाँठ चाहे ब्रेस्ट की हो अथवा अन्य कहीं की ब्रेन ट्यूमर हो अथवा ओव्हरी की सिस्ट हो या यूटेरस के अंदर फाइब्रॉईड हो क्योंकि सबके नाम भले ही अलग हो लेकिन गाँठ बनने की प्रक्रिया एक ही होती हैं!
05) कपालभाती से बढा हुआ कोलेस्टेरोल कम होता हैं!
खास बात यह हैं कि मैं कपालभाती शुरू करने के प्रथम दिन से ही मरीज की कोलेस्टेरॉल की गोली बंद करवाता हूँ!
06) कपालभाती से बढा हुआ इएसआर युरिक एसिड एसजीओ एसजीपीटी क्रिएटिनाईन टीएसएच हार्मोन्स,
प्रोलेक्टीन आदि सामान्य स्तर पर आ जाते हैं!
07) कपालभाती करने से हिमोग्लोबिन एक महीने में
12 तक पहुँच जाता हैं! जबकि हिमोग्लोबिन की लोपॅथीक गोलियाँ खाकर कभी भी किसी का हिमोग्लोबिन इतना नहीं बढ़ पाता हैं!
कपालभाती से हीमोग्लोबिन एक वर्ष में 16 से 18 तक हो जाता हैं! महिलाओं में हिमोग्लोबिन 16 और पुरुषों में 18 होना उत्तम माना जाता हैं!
08) कपालभाती से महिलाओं के मासिक धर्म की सभी शिकायतें एक महीने में सामान्य हो जाती हैं!
09) कपालभाती से थायरॉईड की बीमारी एक महीने में ठीक हो जाता हैं!
इसकी गोलियाँ भी पहले दिन से बंद की जा सकती हैं !
10) इतना ही नहीं बल्कि कपालभाती करने वाला साधक 5 मिनिट में मन के परे पहुँच जाता हैं! गुड़ हार्मोन्स का सीक्रेशन होने लगता हैं! स्ट्रेस हार्मोन्स गायब हो जाते हैं! मानसिक व शारीरिक थकान नष्ट हो जाती हैं! इससे मन की एकाग्रता भी आती हैं!
कपालभाति के कई विशेष लाभ भी हैं!
A) कपालभाती से खून में प्लेटलेट्स बढ़ते हैं! व्हाइट ब्लड सेल्स या रेड ब्लड सेल्स यदि कम या अधिक हुए हो तो वे निर्धारित मात्रा में आकर संतुलित हो जाते हैं! कपालभाती से सभी कुछ संतुलित हो जाता हैं! ना तो कोई अंडरवेट रहता हैं! ना ही कोई ओव्हरवेट रहता हैं!
अंडरवेट या ओव्हरवेट होना दोनों ही बीमारियाँ हैं!
(B) कपालभाती से कोलायटीस
अल्सरीटिव्ह कोलायटीस
अपच
मंदाग्नी
संग्रहणी
जीर्ण संग्रहणी
आँव जैसी बीमारियाँ ठीक होती हैं!
काँस्टीपेशन
गैसेस
एसिडिटी भी ठीक हो जाता हैं!
पेट की समस्त बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं !
(C) कपालभाती से
सफेद दाग
सोरायसिस
एक्झिमा
ल्युकोडर्मा
स्कियोडर्मा
जैसे त्वचारोग ठीक होते हैं!
स्कियोडर्मा पर कोई दवाई उपलब्ध नहीं हैं!
लेकिन यह कपालभाती से ठीक हो जाता हैं!
अधिकतर त्वचा रोग पेट की खराबी से होते हैं!
जैसे जैसे पेट ठीक होता हैं ये रोग भी ठीक होने लगते हैं !
(D) कपालभाती से छोटी आँत को शक्ति प्राप्त होती हैं!
जिससे पाचन क्रिया सुधर जाती हैं!
पाचन ठीक होने से शरीर को कैल्शियम
मैग्नेशियम
फॉस्फरस
प्रोटीन्स
इत्यादि उपलब्ध होने से
कुशन्स
लिगैमेंट्स
हड्डियाँ ठीक होने लगती हैं!
और
3 से 9 महिनों में
अर्थ्राइटीस
एस्ट्रो अर्थ्राइटीस
एस्ट्रो पोरोसिस
जैसे
हड्डियों के रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाते हैं !
ध्यान रखिये की
कैल्शियम प्रोटीन्स हिमोग्लोबिन व्हिटैमिन्स आदि को शरीर बिना पचाए बाहर निकाल देता हैं!
क्योंकि केमिकल्स से बनाई हुई इस प्रकार की औषधियों को शरीर द्वारा सोखे जाने की प्रक्रिया हमारे शरीर के प्रकृति में ही नहीं हैं !
हमारे शरीर में रोज 10 % बोनमास चेंज होता रहता हैं!
यह प्रक्रिया जन्म से मृत्यु तक निरंतर चलती रहती हैं!
अगर किसी कारणवश यह बंद हुई तो हड्डियों के विकार हो जाते हैं....
कपालभाती इस प्रक्रिया को निरंतर चालू रखती हैं!
इसीलिए कपालभाती नियमित रूप से करना आवश्यक हैं !
सोचिए यह सिर्फ एक क्रिया कितनी लाभकारी हैं!
इसीलिए नियमित रूप से कपालभाति करना एक उत्तम व्यायाम की प्रक्रिया हैं!!